आनंद मंगल गावो मोरी सजनी

 आनंद मंगल गावो मोरी सजनी

आनंद मंगल गावो मोरी सजनी,

भई परभात बीत गई रजनी ॥टेक।।

नाचन कूदन तजो बहु बैना,

सतगुरु शब्द परख हिय लेना ॥१॥

अधर आकाश फूली फूलवारी,

मनसा मालिनी करे रखवारी ।।२।।

सींचत अमी अमृत फल लागा,

चाखेंगे कोई संत सुभागा ||३||

कहें कबीर गूंगे की सैना,

 सतगुरु चरन लगे दोऊ नैना ||४||




Comments

Popular posts from this blog

पंडित बाद बदे सो झूठा

झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया |

गयो-गयो रे सास तेरो राज, जमाना आयो बहुअन का।