मन फूला फूला फिरे जगत में
मन फूला फूला फिरे जगत में
मन फूला फूला फिरे जगत में,
नाता रे ॥टेक।
माता कहै यह पुत्र हमारा,
बहन कहै बीर' मेरा ।
भाई कहै यह भुजा हमारी,
नारी कहै नर मेरा
पेट पकरि के माता रोवै.
बाँह पकरि के भाई
लपटि झपटि के तिरिया रोवै,
हंस अकेला जाई
जब लग जीवै माता रोवै,
बहन रोवै दस मासा ।
तेरह दिन तक तिरिया रोवै.
फेर करै घर वासा ॥
चार गजी चादर मंगवाई,
चढ़ा काठ की घोड़ी।
चारो कोने आग लगाई, ,
फूंक दियो जस होरी ॥
हाड़ जरै जस जंगल लकड़ी,
केस जरै जस घासा ।
सोना जैसी काया जर गई,
कोई न आया पासा ||
घर की तिरिया ढूंढन लागी,
ढूँढ़ फिरी चहुँ देशा
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