हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।

 



हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।

दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो नही कोई॥


ना मैं जानू आरती वन्दन, ना पूजा की रीत।

लिए री मैंने दो नैनो के दीपक लिए संजोये॥


घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय।

जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय॥


सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय।

गगन मंडल पर सेज पिया की, मिलणा किस बिध होय॥


दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय।

मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय॥

कविमीरा बाई

श्रेणीकृष्ण भजन

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