मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया॥

 मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया॥टेक॥

पाँच तत्त्व की बनी चुनरिया, सोरह सै बँद लागे जिया॥1॥

यह चुनरी मोरे मैके तें आई, ससुरे में मनुवा खोय दिया॥2॥

मलि-मलि धोई दाग न छूटे, ज्ञान को साबुन लाय पिया॥3॥

कहै कबीर दाग तब छुटिहैं, जब साहेब अपनाय लिया॥4॥

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