आज गुरु आविया जी म्हारे

 

आज गुरु आविया जी म्हारे

आज गुरु आविया जी म्हारे ,
हिवड़े उठी रे हिलोर।
हिवड़े उठी रे हिलोर म्हारे ,
मनडे उठी रे हिलोर।

गुरु आवन की ऐसी लागी ,
जैसे चंद्र चकोर।
चरण कमल में सुरता लागी ,
ज्यू पतंग संग डोर।
आज गुरु आविया जी म्हारे ,
हिवड़े उठी रे हिलोर।

सबद सुण्या गुरुदेव का ,
डर गया पांचो चोर।
घोर अंधेरो दूर होयो है ,
रैण गई भई भोर।
आज गुरु आविया जी म्हारे ,
हिवड़े उठी रे हिलोर।

अब कछु धोखा ना रहा ,
नाच उठा मन मोर।
सूरत सुहागण निरखण लागी ,
अपने पिया की ओर।
आज गुरु आविया जी म्हारे ,
हिवड़े उठी रे हिलोर।

भीखदास गुरु पूरा मिलिया ,
कुकर्म दीना तोड़।
दास मलूक चरण में लोटे ,
सुख में जिव झकोर।
आज गुरु आविया जी म्हारे ,
हिवड़े उठी रे हिलोर।

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