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हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय।

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  हे री मैं तो प्रेम-दिवानी मेरो दरद न जाणै कोय। दरद की मारी बन बन डोलूं बैद मिल्यो नही कोई॥ ना मैं जानू आरती वन्दन, ना पूजा की रीत। लिए री मैंने दो नैनो के दीपक लिए संजोये॥ घायल की गति घायल जाणै, जो कोई घायल होय। जौहरि की गति जौहरी जाणै की जिन जौहर होय॥ सूली ऊपर सेज हमारी, सोवण किस बिध होय। गगन मंडल पर सेज पिया की, मिलणा किस बिध होय॥ दरद की मारी बन-बन डोलूं बैद मिल्या नहिं कोय। मीरा की प्रभु पीर मिटेगी जद बैद सांवरिया होय॥ कविमीरा बाई श्रेणीकृष्ण भजन

याद पिया की आये याद पिया की आये हाय राम

  याद पिया की आये हाय राम याद पिया की आये याद पिया की आये हाय राम याद पिया की आये ये दुःख सहा ना जाये हाय ये दुःख सहा ना जाये हाय राम हाय राम याद पिया की आये हाय राम याद पिया की आये बैरी कोयलिया कूक सुनाये मुझ बिरहं का जियरा जलाये बैरी कोयलिया कूक सुनाये मुझ बिरहं का जियरा जलाये ये दुःख सहा ना जाये ये दुःख सहा ना जाये हाय राम हाय राम याद पिया की आये याद पिया की आये हाय राम बाली उमरिया सूनी रे सजरिया बाली उमरिया सूनी रे सजरिया जोबन बीता जाए हाय जोबन बीता जाए हाय राम हाय राम याद पिया की आये हाय पिया हाय पिया पिया पिया पिया पिया

सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए

 सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए मै मानती रही सइयां रूठ गए मै मानती रही जी सइयां रूठ गए शाम अजने लगे मैं बुलत इराही मैं बुलत इराही सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए मै मानती रही जी सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए मेरे सूने मधुबन में बहार आ गयी मेरे नैना में असुवन की धार आ गयी अम्बुआ की दरी पे वो अम्बुआ की दरी पे वो अम्बुआ की दरी पे वो बैरी कोयलिया गा गा के मुझे रुळात िरहि सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए मै मानती रही जी सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए शाम जाने लगे शाम जाने लगे मई बुलाती रही सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए मै मानती रही जी सइयां रूठ गए सइयां रूठ गए.  

कैसा रेल बनाया बनाने वाला

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बाहर ढुड़न जा मत सजनी

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पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला

  हो~~~ गाड़ी वाला रे हो~~~ पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला पता देजा लेजा गाड़ीवाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता देजा पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला का तोर गांव के पार दिवाना डाकखाना के पता का नाम का थाना कछेरी के तोरे पारा मोहल्ला जघा का को तोरे राज उत्ती बुड़ती रेलवाही का हवे सड़किया पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला मया नि चिन्हे रे देशी बिदेशी मया के मोल ना तोल जात बिजात ना जाने रे मया मया मयारू के बोल काया माया सब नाच नचाये मया के एक नजरिया पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला जियत जागत रईबे रे बैरी भेजबे कभुले चिठिया बिना बोले भेद खोले रोये जाने अजाने पिरितिया बिन बरसे उमड़े घुमड़े जीव मया के बैरी बदरिया पता देजा रे पता लेजा रे गाड़ीवाला Advertisements REPORT THIS AD पता देजा लेजा गाड़ीवाला रे तोर गांव के तोर काम के तोर नाम के पता देजा हो~~~ गाड़ी वाला रे हो~~~ गाड़ी वाला रे हो~~~ गाड़ी वाला रे  

चदरिया झीनी रे झीनी,

 कबीरा जब हम पैदा हुए, जग हँसे हम रोये, ऐसी करनी कर चलो, हम हँसे जग रोये । चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रे झीनी । अष्ट कमल का चरखा बनाया, पांच तत्व की पूनी, नौ दस मास बुनन को लागे, मूरख मैली किनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी । जब मोरी चादर बन घर आई, रंगरेज को दिनी, ऐसा रंग रंगा रंगरे ने, के लालो लाल कर दिनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी । चादर ओढ़ शंका मत करियो, ये दो दिन तुमको दिनी, मूरख लोग भेद नहीं जाने, दिन दिन मैली किनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी । ध्रुव प्रहलाद सुदामा ने ओढ़ी, शुकदेव ने निर्मल किनी, दास कबीर ने ऐसी ओढ़ी, ज्यो की त्यों धर दिनी, चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी । चदरिया झीनी रे झीनी, राम नाम रस भीनी, चदरिया झीनी रे झीनी ।