Posts

मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया॥

 मोरी चुनरी में परि गयो दाग पिया॥टेक॥ पाँच तत्त्व की बनी चुनरिया, सोरह सै बँद लागे जिया॥1॥ यह चुनरी मोरे मैके तें आई, ससुरे में मनुवा खोय दिया॥2॥ मलि-मलि धोई दाग न छूटे, ज्ञान को साबुन लाय पिया॥3॥ कहै कबीर दाग तब छुटिहैं, जब साहेब अपनाय लिया॥4॥

मारा सतगुरू आंगन आया मैं बलिहारी जाऊँ रे

Image
 

जनम तेरा बातों ही बीत गयो, रे तुने कबहू ना कृष्ण कहो

  जनम तेरा बातों ही बीत गयो, रे तुने कबहू ना कृष्ण कहो | पाँच बरस को भोलो बालो, अब तो बीस भयो | मकर पचीसी माया के कारन, देश विदेश गयो || तीस बरस की अब मति उपजी, लोभ बढ़े नित नयो | माया जोड़ी लाख करोड़ी, अजहू न तृप्त भयो || वृद्ध भयो तब आलस उपज्यो, कफ नित कंठ नयो | साधू संगति कबहू न किन्ही, बिरथा जनम गयो || यो जग सब मतलब को लोभी, झूठो ठाठ ठयो | कहत कबीर समझ मन मूरख, तूं क्यूँ भूल गयो ||

जगत में कोई ना परमानेंट,

 जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, तेल चमेली चन्दन साबुन, चाहे लगालो सेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, आवागमन लगी दुनियाँ में, जगत है रेस्टोरेंट, रे प्यारे जगत है रेस्टोरेंट, अंत समय में उड़ जायेंगे, तेरे तम्बू टेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, हरिद्वार चाहे मथुरा काशी, घुमो दिल्ली केंट, रे प्यारे घूमों दिल्ली केंट, मन में नाम प्रभुः का राखो, चाहे धोती पहनो या पेण्ट, जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, मन में नाम गुरु का राखो, चाहे धोती पहनो या पेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, राष्ट्रपति या जर्नल कर्नल चाहे हो लेफ्टिनेंट, ये काल सभी को जाएगा, लेडीज हो या जेन्ट्स, जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, साधू संत की संगत कर लो, ये सच्ची गवरमेंट, रे प्यारे ये सच्ची गवरमेंट, लाल सिंह कहे इस दफ्तर मत होना अबसेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, जगत में कोई ना परमानेंट, तेल चमेली चन्दन साबुन, चाहे लगालो सेंट, जगत में कोई ना परमानेंट,

मेरे मालिक के दरबार में, सब लोगो का खाता

  मेरे मालिक के दरबार में, सब लोगो का खाता जितना जिसके  भाग्य में होता , वो उतना ही पाता मेरे मालिक के दरबार में.... क्या साधू क्या संत गृहस्थी, क्या राजा क्या रानी, प्रभु की पुस्तक में लिखी है, सब की कर्म कहानी, वही सभी के जमा खरच का, सही हिसाब लगाता,  मेरे मालिक के दरबार में ...  बड़े कड़े कानून प्रभु के, बड़ी कड़ी मर्यादा, किसी को कौड़ी कम नही देता, किसी को दमड़ी ज्यादा इसलिए तो दुनिया में ये  जगत सेठ कहलाता,  मेरे मालिक के दरबार में ... करते हैं फ़ैसला सभी का  प्रभु आसन पर  डट के, इनका फैसला कभी ना बदले, लाख कोई सर पटके, समझदार तो चुप रहता हैं, मूरख़ शोर मचाता,  मेरे मालिक के दरबार में....

अजब जमाना आया रे,

Image
 डर लागे, डर लागे, डर लागे डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, अजब जमाना आया रे, डर लागे, डर लागे, धन दौलत से भरा खजाना, वैश्या नाच नचाया रे मुट्ठी अन्न जो साधू माँगे,कहे अनाज नहीं आया रे, कहे अनाज नहीं आया रे, कहे अनाज नहीं आया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, कथा होय तहाँ श्रोता सोवे, वक्ता मूढ़ पचाया रे होय कहीं स्वांग तमाशा, तनिक ना नींद सताया रे, तनिक ना नींद सताया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, भाँग, तमाखू, सुलफा, गाँजा, सूखा खूब उड़ाया रे गुरुचरणामृत नेम ना धारे, मधुआ चाखन आया रे, भाँग, तमाखू, सुलफा, गाँजा, सूखा खूब उड़ाया रे गुरुचरणामृत नेम ना धारे, मधुआ चाखन आया रे, मधुआ चाखन आया रे, मधुआ चाखन आया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, डर लागे, डर लागे, डर लागे और हाँसी आवे, अजब जमाना आया रे, उलटी चलन चली दुनिया में, ताते जी घबराया रे, कहत कबीर सुनों भाई साधो, का पाछे पछताया र...

कबीर भजन माला special

Image
  Kabir bhajan mala bambai पब्लिकेशन