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Showing posts from September, 2024

ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी।

 ऊधौ, कर्मन की गति न्यारी। सब नदियाँ जल भरि-भरि रहियाँ सागर केहि बिध खारी॥ उज्ज्वल पंख दिये बगुला को कोयल केहि गुन कारी॥ सुन्दर नयन मृगा को दीन्हे बन-बन फिरत उजारी॥ मूरख-मूरख राजे कीन्हे पंडित फिरत भिखारी॥ सूर श्याम मिलने की आसा छिन-छिन बीतत भारी॥

जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है

 जरा देर ठहरो राम तमन्ना यही है अभी हमने जी भर के देखा नहीं है ॥ कैसी घड़ी आज जीवन की आई । अपने ही प्राणो की करते विदाई । अब ये अयोध्या हमारी नहीं है ॥ माता कौशल्या की आंखों के तारे। दशरथ जी के राज दुलारे । कभी ये अयोध्या को भुलाना नहीं है ॥ जाओ प्रभु अब समय हो रहा है। घरों का उजाला भी कम हो रहा है । अंधेरी निशा का ठिकाना नहीं है ॥

मत कर माया को अहंकार, मत कर काया को अभिमान

 मत कर माया को अहंकार, मत कर काया को अभिमान काया गार से काची मत कर माया को अहंकार, मत कर काया को अभिमान काया गार से काची [Pre-Chorus] ओ, काया गार से काची, रे, जैसे ओस रा मोती [Chorus] झोंका पवन का लग जाए, झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी, काया तेरी धूल हो जासी [Verse 1] ऐसा सख्त था महाराज, जिनका मुल्कों में राज जिन घर झूलता हाथी (जिन घर झूलता हाथी) [Pre-Chorus] ओ, जिन घर झूलता हाथी, रे, उन घर दिया ना बाती [Chorus] झोंका पवन का लग जाए, झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी, काया तेरी धूल हो जासी [Verse 2] खुट गया सिन्दड़ा रो तेल, बिखर गया सब निज खेल बुझ गई दिया की बाती [Pre-Chorus] ओ, बुझ गयी दिया की बाती, रे, जैसे ओस रा मोती [Chorus] झोंका पवन का लग जाए, झपका पवन का लग जाए काया धूल हो जासी, काया तेरी धूल हो जासी [Verse 3] झूठा माई, थारो बाप, झूठा सकल परिवार झूठी कूटता छाती (झूठी कूटता छाती) [Bridge] ओ, झूठी कूटता छाती, रे, जैसे ओस रा मोती [Instrumental Break] [Verse 4] बुल्लेया, भवानी हो नाथ, गुरु जी ने सिर पे धरया हाथ जिन से मुक्ति मिल जासी (जिन से मुक्ति मिल जासी) बुल्लेया, भवानी...

तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार, उदासी मन काहे को करे

 राम नाम सोही जानिए, जो रमता सकल जहाँन घट-घट में जो रम रहा, उसको राम पहचान तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार रे, बेंड़ा पार रे बेंड़ा पार तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार, उदासी मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार, उदासी मन काहे को करे रे काहे को डरे रे, काहे को डरे काहे को डरे नैया तेरी राम हवाले, लहर-लहर हरि आप संभाले नैया तेरी, नैया तेरी राम हवाले, लहर-लहर हरि आप संभाले हरी आप ही उठावें तेरा भार उदासी मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार उदासी मन काहे को करे रे काहे को डरे रे, काहे को डरे काहे को डरे काबू में मँझधार उसी के, हाथों में पतवार उसी के काबू में रे, काबू में मँझधार उसी के, हाथों में पतवार उसी के तेरी हार भी नहीं है, तेरी हार उदासी मन काहे को करे रे तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार उदासी मन काहे को करे रे काहे को डरे रे, काहे को डरे काहे को डरे सहज किनारा मिल जायेगा रे, मिल जायेगा मिल जायेगा परम सहारा मिल जायेगा सहज किनारा मिल जायेगा परम सहारा मिल जायेगा डोरी सौंप के तो देख एक बार, उदासी मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा पार, उदासी मन काहे को करे तेरा रामजी करेंगे बेंड़ा...

तेरे हीरे मोती जड़े रह गए

 तेरे हीरे मोती जड़े रह गए सब तेरे ख्याल बड़े रह गए तू जा सोया शमशानों में तेरे ऊंचे महल खड़े रह गए तूने पैसा बहोत कमाया रे पर अंत काम नहीं आया रे तेरे धन और माल गड़े रह गए तेरी ये सुन्दर सी काया जिसे देख देख तू इतराया तेरे दोनों नैन लडे रह गए तू लुट गया रे नादानी में कुछ किया नहीं जिंदगानी में तेरे सारे काम पड़े रह गए श्रेणीविविध भजन

एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ

 एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ नाती नाते दार, काम नहीं अइहय गाँव के लोगवा सब खड़े रही जईहय केवल भाई भतीजे सब कहार होइ   जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ महल औ अटारी सब हिये रही जावेगो धन औ दौलत कोउ साथ नाहीं जावेको केवल दु गज का कपड़ा बहार होइ   जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ   चार कहार मिल लइके चलय डोली   राम नाम की बोलत बोली तोहरे जीवन की बगिया में उजार होइ जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ कहत कबीर सुनो भाई सब जन राम नाम का कर लो सुमिरन तोहरे जीवन में एक दिन बहार होइ जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ एक दिन मटिया में सबही के सिंगार होइ जब पिजरा से पंक्षी फरार होइ श्रेणीविविध भजन

मुखड़ा क्या देखे दर्पण में,

 मुखड़ा क्या देखे दर्पण में, तेरे दया धर्म नहीं मन में, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे कागज की एक नाव बनाई छोड़ी गहरे जल में, धर्मी कर्मी पार उतर गया पापी डूबे जल में, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे..... खाच खाच कर साफा बंदे तेल लगावे जुल्फन में, इण ताली पर घास उगेला धेन चरेली बन मे, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे...... आम की डाली कोयल राजी सुआ राजी बन में, घरवाली तो घर में राजी संत राजी बन में, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे..... मोटा मोटा कड़ा पहने कान बिदावे तन में, इण काया री माटी होवेला सो सी बीच आंगन में, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे....... कोडी कोडी माया जोड़ी जोड़ रखी बर्तन में, कहत कबीर सुनो भाई साधो रहेगी मन री मन में, मुखड़ा क्या देखे दर्पण मे..... श्रेणीविविध भजन