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जो तू आया मूढ़ जगत में जग हसे तू रोय जग हसे तू रोय

  जो तू आया मूढ़ जगत में जग हसे तू रोय जग हसे तू रोय ऐसी करनी कर चल भैया ऐसी करनी कर चल भैया  तू हसे जग रोय तोला जाना परे काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  तोला जाना परे न तोला जाना परे न काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  मुट्ठी बांध के आये गरब से हाथ पसारे जाबे 2 जैसे ममता मोह ला छोड़े 2 हाथ छुड़ा चले जाबे तोला जाना परे  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  तोला जाना परे न तोला जाना परे न  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न 2 राज छोडके राजा जाही रूप छोड़ के रानी 2 धरती चाँद सुरुज हा जाही 2 जाही पवन अऊ पानी जाना परे  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  तोला जाना परे न तोला जाना परे न  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न 2 मानुस जनम हा बड दुर्लभ हे समझ ले अभिमानी 2 लोभ लहर के नदी बोहत हे 2 बूड जाही जिनगानी तोला जाना परे काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न  तोला जाना परे न तोला जाना परे न  काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न 2 काया ला छोड़े के हंसा जाना परे न 2

राघव धीरे चलो, ससुराल गलियाँ ।

राघव धीरे चलो, ससुराल  गलियाँ । मिथिला की नारि नवेली, मोहित छवि लखि रंगरलियाँ ।  राघव... पीत उपरना कानन कुंडल, लटकत माथे मौर लारियाँ । राघव.... तुमहि बिलोकि न नजरा लगावें, जनक नगर की सब आलियाँ । राघव... मुनि तिय ज्यों पद, परसि तिहारो, हीरा मोति मनि होइहैं लारियाँ । राघव ... गिरिधर प्रभु लखि, प्रेम बिबस भई, रबिहि निरखि ज्यों कमल कलियाँ । राघव बचिके चलो ससुराल की गलियाँ । राघव धीरे चलो.....

सैया रूठ गये सैया रूठ गये

 सैया रूठ गये सैया रूठ गये में मनाती रही सैया रूठ गये में मनाती रही जी सैया रूठ गये शाम जाने लगे में बुलाती रही में बुलाती रही सैया रूठ गये सैया रूठ गये में मनाती रही सैया रूठ गये मेरे सुने मधुबन मे बाहर आ गयी मेरे नैना मे असुवान की धार आ गयी अंबुआ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ अंबुआ की डारी पे वो अंबुआ की डारी पे अंबुआ की डारी पे बैरी कोयलिया गा गा के मुझे रूलाती रही सैया रूठ गये सैया रूठ गये में मनाती रही सैया रूठ गये सैया रूठ गये शाम जाने लगे शाम जाने लगे में बुलाती रही रूठ गये सैया रूठ गये सैया रूठ गये सैया रूठ गये में मनाती रही सैया रूठ गये सैया रूठ गये

मोर सैया तो हैं परदेश में क्या करूँ सावन को

 सावन आया रिम झिम सवारे आये बादल करे करे मतवारे प्यार प्यारे मोर अंगना झूम के गिर गिर आयी उड़ी उड़ी देखो मस्त घटाये फर फर आज उड़ाए आचल मोरा सर्द हवाए दारी दारी पे भावरा घूम के आये कलियों के मुखड़े चूम के जिया मोरा जलाये हाये रे प्यारी प्यारी रूट सवरें मोर सैया तो हैं परदेश में क्या करूँ सावन को मोर सैया तो हैं परदेश में क्या करूँ सावन को सुना लगे सजन बिन देश सुना लगे सजन बिन देश में धुधु सजन को मोर सैया तो हैं परदेश में क्या करूँ सावन को मोर सैया तो हैं परदेश देखु रहे चड के अत्रिय जाने कब आ जवे सवरिया देखु रहे चड के अत्रिय जाने कब आ जवे सवरिया जब से गये मोरी ली ना खबरिया छूटा पंघाट फ़ुटी गगरिया सुना लगे सजन बिन देश सुना लगे सजन बिन देश में धुडू सजन को मोर सैया तो हैं परदेश में क्या करूँ सावन को मोर सैया तो हैं परदेश सावन आया रिम झिम सवारे आये बादल करे करे मतवारे प्यार प्यारे मोर अंगना झूम के गिर गिर आयी उड़ी उड़ी देखो मस्त घटायेफर फर आज उड़ाए आचल मोरा सर्द हवाए दारी दारी पे भावरा घूम के आये कलियों के मुखड़े चूम के जिया मोरा जलाये हाये रे प्यारी प्यारी रूट सवरें क्यू पहनु मैं पग मे ...

सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,

 किस धुन में बेठा वन्वारे तू किस मध में मस्ताना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, क्या लेकर के आया था जग में फिर क्या लेकर जाएगा, मुठी बांधे आया जग में हाथ पसारे जाना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, कोई आज गया कोई कल गया कोई चंद रोज में जायेगा जिस घर से निकल गया पंशी उस घर में फिर नही आना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, सूत मात पिता बांदव नारी धन धान यही रह जाएगा, यह चंद रोज की यारी है फिर अपना कौन बेगाना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,

जतन बिन मिरगाँ ने खेत उजाड्या जतन बिन मिरगाँ ने खेत उजाड्या।

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  जतन बिन मिरगाँ ने खेत उजाड्या जतन बिन मिरगाँ ने खेत उजाड्या। सुन रे मितर खेती वाला रै ॥टेर॥ पाँच मिरगला, पच्चीस मिरगली, असली तीन छुकाँरा। अपने अपने रस का भोगी, चरता है न्यारा न्यारा ॥1॥ मन रे मिरगलें, ने किस बिध रोकुँ, बिड़रत नाही बिड़ार्या। जोगी, जंगम, जती और सेवड़ा,पंड़ित पढ़ पढ़ हार्या ॥2॥ आम भी खाग्यो, आमली भी खाग्यो, खाग्यो केशर क्यारा। काया नगर में कुछ भी न छोड्या,ऐसा ही मिरग उजाड्या ॥3॥ शील संतोष की बाड़ छपाले,ध्यान गुरु रखवाला। प्रेम पारधी बाण संजोले, ज्ञान भाल से मार्या ॥4॥ नाथ गुलाब मिल्या गुरु पूरा, ऐसा ही मिरग बिड़ार्या। भानीनाथ शरण सतगुरु के, बेग ही बेग संभाल्या ॥5॥

तू लाख चले री गोरी थम-थम के पायल में गीत हैं छम-छम के

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  तू लाख चले री गोरी थम-थम के पायल में गीत हैं छम-छम के तू पिया से मिल कर आई है बस आज से नींद पराई है देखेगी सपने साजन के तू लाखे चले ... ये जीवन भर का रोग सखी तुझे पगली कहेंगे लोग सखी याद आयेंगे वादे बालम के तू लाख चले ... मैं ने भी किया था प्यार कभी आई थी यही आवाज़ कभी अब गीत मैं गाती हूँ ग़म के तू लाख चले ...