जीवन मुक्त हमारा संतो
जीवन मुक्त हमारा संतो
जीवन मुक्त हमारा संतो,
जीवन मुक्त हमारा हो ।
संशै नहीं नहीं कछ धोखा,
करम भरम सो न्यारा हो ।।टेका।
पांच तीन हमही उपराजे,
हमही ठाढ़ी काया हो ।
जहाँ ले जग में भया पसारा, .
सो सब हमरी माया हो ||१||
ओहं सोहं ररंकार धुन,
सो सब हमही कीन्हा हो।
गुप्त रहे परगट जग माहीं,
सो गत काहु न चीन्हा हो ॥२॥
रहत ठौर जहाँ रहे न कोई,
धर अधरहि के पारा हो ।
जोत स्वरूपी देव निरंजन,
सो सब खेल हमारा हो ॥३॥
खुद बानी को समुझो संतो,
सत्त सत्त कहि भाखी हो।
।
ज्ञान जौहरी समुझ लेयेंगे,
सत हमारी साखी हो ||४||
अलख अगम गत को यह बूझे,
बूझ करै सो संता हो ।
कहें कबीर कहा हम भाखो,
अगम अपार अनंता हो ||५||
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