हीरा तन पाय तूने सुमति गँवाई

 हीरा तन पाय तूने सुमति गँवाई

हीरा तन पाय तूने सुमति गँवाई ।।

नौ दस मास गर्भ मे राखे,

नर्क योनि भुगताई ।

नर्क योनि से बाहर काढे,

मात पिता की सुध बिसराई ॥१॥

बालापन में खेल गमाये,

पीछे जवानी आई ।

जो माता ने दूध पिलाई,

वो माता को लात चलाई ॥२॥

वृद्ध भये कफ आवन लागे,

द्वारे    खाट बिछाई

पार परोसी सब जुर आये,

घर के कहैं याहि मौत न आई ॥३॥

भवसागर की अगम बात है,

जाके पार पार न न पाई ।

कहें कबीर सुनो भाई साधो,

छोड़ चले सबही ठकुराई ||४||


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