सोहंग हंसा सकल समाना
सोहंग हंसा सकल समाना
सोहंग हंसा सकल समाना,
काया के गुन आनहि आना ।।टेका।
माटी एक सकल संसारा,
आनि आनि वासन घड़े कुम्हारा||१||
सरिता सिन्धु और कूप तलाई,
एकहि नीर सकल रहु छाई ॥२॥
पांच बरन की दुहिये गाय,
देखे मन पतियाय ॥३॥
कहें कबीर संशय कर दूर,
सब घट ब्रह्म रहे भरपूर ॥४॥
श्वेत दूध
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