जहाँ से आये अमर वह देशवा
जहाँ से आये अमर वह देशवा
जहाँ से आये अमर वह देशवा ।।
न तहाँ धरति न पवन अकशवा,
न वहाँ चंद सुरज परकशवा
न वहाँ ब्राह्मण शूद न बैसवा,
न योगी जंगम दरवेशवा ।।२।।
न वहाँ ब्रम्हा विष्णु महेशवा,
निराकार नहि गौरी गणेशवा ||३||
कहैं कबीर ले आये संदेशवा,
सार शब्द गहि चलो वह देशवा ||४||
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