हंसा करले शब्द बसेरा

 हंसा करले शब्द बसेरा

हंसा करले शब्द बसेरा ।

रोम रोम यमदूतन घेरा,

ज्यों कांटे ढिग' केरा ||टेका।

आहि निशि बसो शब्द के मांही,

गुरु मुख शब्द नबेरा ।

गुरु के वचन शिष्य जो माने,

शब्द सुरत सो हेरा ।।१।।

शब्द सार गुरु बचन संदेसा,

ताहि मध्य कर डेरा ।

२|गुरु शिष्य को पार उतारे,

मिटे सकल जग फेरा ।।२।।

गुरु के शब्द हिये गहि राखे,

त्रास कटे बहु तेरा ।

ताके खुले नैन हिरदे के,

दिव्य दृष्टि सो हेरा ।।३।।

सदा अधीन रहे संतन सो,

जस भुंगी वरन फेरा ।

जैसे चित्र चितेरा ||४

दरसे ताहि शब्द निस बासर,

निस बासर जागे औ लागे,

सिर पर शब्द उजेरा

कहें कबीर जो सतगुरु सेवे,

सो सतगुरु हित तेरा ॥५

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