कर नैनों दीदार महल में
कर नैनों दीदार महल में
कर नैनों दीदार महल में प्यारा है।
साध सोई जिन यह गढ़ लीन्हा,
नौ दरवाजा परगट चीन्हा ।
दसवां द्वारा कुलप जड़ तारा है ।।टेक
चंद्र सूर दोउ एक घर लावे,
सुषुमन सेती ध्यान लगावे ।
तिरबेनी के घाट उतर भौपारा है।। १
सूरा होय सो भर भर षीया ।
गगन मंडल में उर्धमुख कुँवा,
निगुरा जात पियास हिये अंधियारा है ।। २ ॥
नेती धोती बस्ती पाई,
आसन पवन जुगत से ठहराई ।
ज्ञान घोड़ा असवार भरम से न्यारा है || ३ ||
शब्द विहंगम चाल हमारी,
कहे कबीर सतगुरु लेव तारी ।
खुल गये भरम किंवार शब्द झनकारा है ॥ ४ ॥
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