रहना नहीं देश बिराना है

 रहना नहीं देश बिराना है

रहना नहीं देश बिराना है ।।

यह संसार कागद की पुड़िया,

बूंद पड़े घुल जाना है ॥१॥

यह संसार कांटे की बाड़ी,

उलझि उलझिमरि जाना है॥२॥

यह संसार झाड़ और झखिर,

आग लगे बरि जाना है ||३||

कहत कबीर सुनो भाई साधो,

सतगुरू नाम ठिकाना है ||४||

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