मन तू समझ के लाद लदनियां
मन तू समझ के लाद लदनियां
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मन तू समझ के लाद लदनियां ।।
'पीना होय इहाँ तू पीले,
आगे देस निपनियां ।
सौदा होय इहां कर लेना,
आगे हाट न बनियां ||१||
बड़ बड़ नायक लाद गये हैं,
तेरी बात कितनियां ।
जमराजा के दूत फिरत है,
तोड़ डारे गरदनियां ॥२॥
घर के लोग जगाती हो के,
छीन लेत परदनियां ।
कहें कबीर सुनो भाई साधो,
शब्द में सुरत समनियां |
INE
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