हंसा यह पिंजरा नहिं तेरा
हंसा यह पिंजरा नहिं तेरा ।।
कंकड़ चुनि चुनि महल बनाया,
लोग कहे घर मेरा ।
ना घर तेरा ना घर मेरा,
चिड़िया रैन बसेरा ॥१॥
बाबा दादा भाई भतीजा,
कोई न चले संग तेरा।
हाथी घोड़ा माल खजाना,
पड़ा रहे धन घेरा रा
मात पिता स्वारथ के लोभी,
करते मेरा मेरा ।
कहैं कबीर सुनो भाई साधो,
इक दिन जंगल डेरा ||३||
Comments
Post a Comment