माया काली नागिन

 माया काली नागिन

माया काली नागिन,

जिन डसिया सब संसार |टेका

इंद्र डसे ब्रम्हा डसे,

नारद डसिया व्यास

बात कहत शिव को डसी,

जाके छिन एक बैठी पास ||१||

कंस डसे शिशुपाल डसै,

रावन डसिया जाय ।

इस मस्तक जाके भूमि परै,

ताके लंका दई लुटाय ||२||

बड बड गारुड सब डसे,

कोई न ट नीकलन हार ।


कच्छ देश गोरख डसे.

जाका जोग अपार

चुन चुन मारे चतुर सूरमा,

जाकी करे जग आस

तोसे गरीब की कौन गिने,

कहे कबीर बिचार ।।

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