जग में या विधि साधु कहावे
जग में या विधि साधु कहावे
जग में या विधि साधु कहावे ।
दया सरुप सकल जीवन पर,
और दृष्टि न आवे ||टेका
झलकत दशा ब्रह्म के जामे,
सबही के मन भावे ।
शीतल वचन सर्व सुखदाई,
आनंद प्रेम बढ़ावे ||१||
जाको निसदिन प्रेम भक्ति है,
दूजा देव ना ध्यावे ।
कहें कबीर हम वा घट परगट,
आप अपन पो पावे ॥
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