तुम देखो लोगों भूल भूलैया का तमाशा
तुम देखो लोगों भूल भूलैया का तमाशा
तुम देखो लोगों भूल भूलैया का तमाशा ।।
ना कोई आता ना कोई जाता,
झूठा जगत का नाता ।
५ ना काहू की बहन भानजी,
ना काहू की माता ।।१।।
ड्योढ़ी लग तेरी तिरिया जावे,
पौली लग तेरी माता ।
मरघट तक सब जाये बराती,
हंस अकेला जाता ||२||
एकतई ओढ़े दोतई ओढ़े,
ओढ़े मलमल खासा ।
शाल दुशाला नित ही ओढ़े,
अन्त खाक मिल जाता ||३||
कौड़ी कौड़ी माया जोड़ी,
जोड़े लाख पचासा ।
कहत कबीर सुनो भाई साधो,
संग चले न माशा ।।४।।
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