पानी बीच बताशा संतो
पानी बीच बताशा संतो
पानी बीच बताशा संतो,
तन का यही तमाशा है |टेका।
क्या ले आया क्या ले जायगा,
क्यों बैठ पछताता है
मुट्ठी बांधे आया बन्दे,
हाथ पसारे जाता है ||१||
किस की नारी कौन पुरुष है,
कहाँ से नाता लाया है
बड़े बिहाल खबर ना तन की,
बिरही लहर बुझाता है ॥२॥
इक दिन जीना दो दिन जीना,
जीना बरस पचासा है।
अंतकाल बीसा सौ जीना,
फिर मरने की आसा है ।।३
ज्यों ज्यों पाँव धरो धरनी में,
त्यों त्यों काल नियराता है।
कहे कबीर सुनो भाई साधो,
गाफिल गोता खाता है |
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