मन लागो मेरो यार फकीरी में

 मन लागो मेरो यार फकीरी में

मन लागो मेरो यार फकीरी में ।।

जो सुख पायो नाम भजन में,

सो सुख नाहिं अमीरी में |

भली बुरी सबकी सुन लीजे,

कर गुजरान गरीबी में ||१||

प्रेम नगर में रहन हमारी,

भलि बनि आई सबूरी में ।

हाथ में कूण्डी बगल में सोंटा,

चारो दिशा जागिरी में ||२||

आखिर यह तन खाक मिलेगा,

कहाँ फिरत मगरूरी में ।

कहें कबीर सुनों भाई साधो,

साहब मिले सबूरी में ||३||

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