मन लागो मेरो यार फकीरी में
मन लागो मेरो यार फकीरी में
मन लागो मेरो यार फकीरी में ।।
जो सुख पायो नाम भजन में,
सो सुख नाहिं अमीरी में |
भली बुरी सबकी सुन लीजे,
कर गुजरान गरीबी में ||१||
प्रेम नगर में रहन हमारी,
भलि बनि आई सबूरी में ।
हाथ में कूण्डी बगल में सोंटा,
चारो दिशा जागिरी में ||२||
आखिर यह तन खाक मिलेगा,
कहाँ फिरत मगरूरी में ।
कहें कबीर सुनों भाई साधो,
साहब मिले सबूरी में ||३||
211
Comments
Post a Comment