मन तोहि किस विधि समझाऊँ

 मन तोहि किस विधि समझाऊँ

मन तोहि किस विधि समझाऊँ ।।

सोना होय सोहाग मंगाऊँ,

बंकनाल रस लाऊँ ।

ज्ञान शब्द की फूंक चलाऊँ,

पानी कर पिघलाऊँ ||१||

घोड़ा होय लगाम मंगाऊँ,

ऊपर जीन कसाऊँ ।

होय सवार तेरे पर बैठू,

चाबुक देई चलाऊँ ॥२॥

हाथी होय जंजीर गढ़ाऊँ,

चारों पैर बंधाऊँ ।

होय महावत सिर पर बैलूं,

अंकुश लेइ चलाऊँ ||३||

लोहा होय ऐरण मंगाऊँ,

ऊपर धुवन धुवाऊँ ।

धुआँ की घनघोर मचाऊँ,

यन्तर तार खिचाऊँ ॥४॥

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