सकल तज नाम सुमर मेरे भाई
सकल तज नाम सुमर मेरे भाई
सकल तज नाम सुमर मेरे भाई ।
माटी के तन माटी मिलि हैं,
पवन में पवन समाई टेक।।
जतन जतन कर सुत को पाले,
काचा दूध पिलाई ।
सो बेटा रे काल होय बैठे,
बाबा कहत लजाई ||१||
जो तिरिया मुख बिरिया खवाती,
सोवत अंग लगाई ।
सो तिरिया मुख मोर के बैठी,
टूटी गये सकल सगाई ॥२॥
जो देहियाँ पर नीर पखारे,
चोवा चंदन लगाई ।
सो देहियाँ पर काग उड़त है,
देखत लोग घिनाई ||४||
झूठी काया झूठी माया,
झूठी लोग लुगाई ।
कहें कबीर सुनो भाई साधो,
झूठ जगत पतियाई ।।५।।
॥
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