जाग पियारी अब का सौवै,
जाग पियारी
जाग पियारी अब का सौवै,
रैन गई दिन काहे को खोवै ।।टेड
जिन जागा तिन मानिक पाया,
तैं बौरी सब सोइ गँवाया ॥
पिय तेरे चतुर तु मूरख नारी,
कबहुँ न पिया की सेज सँवारी ।।
ते बौरी बौरावन कीन्हो,
भर जोबन पिय अपन न चीन्हो ॥३
जागु देखु पिय सेज न तेरे,
तोहि छाडि उठि गये सबेरे ॥४
कहै कबीर सोई धन जागै,
सबद बान उर अंतर लागे ॥५
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