जियरा पराये बस में
जियरा पराये बस में
जियरा पराये बस में ।
सास ननद मोरी जनम की बैरन,
चरचा करे दसन में ||१||
काम क्रोद मद लोभ मोह बस,
नफा नहीं है इसमें ।।२।।
पांच पचीस बसे घट भीतर,
टरे नहीं निस दिस में ||३||
कहें कबीर सुनो भाई साधो,
सतगुरु चरन हिये में ॥४॥
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