नैनन आगे ख्याल घनेरा

 नैनन आगे ख्याल घनेरा

नैनन आगे ख्याल घनेरा।

जा कारन जग भरमत डोले,

सो साहेब ढिग लेत बसेरा ॥टेक||

पूर रहो असमान धरन लो,

जित देखो तित् साहब मेरा ॥१॥

-

लखत बने कछु कहत न आवे,

जाने दिल बिच महर मेहरा ||२||

अर्ध उर्ध बिच मनुवां राचे,

का संध्या का रैन सबेरा ||३||

माला एक दई मोहि सतगुरु,

कहें कबीर बिनही कर फेरा ||४||

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