पी ले प्याला हो मतवाला

 पी ले प्याला हो मतवाला

पीले प्याला हो मतवाला,

प्याला नाम अमीरस का रे ||टेका

पाप पुण्य भुगतन को आया,

कौन तेरा और तू किसका रे।

जब लग श्वांस नाम गुन गावो,

धन यौवन सपना निशि का रे।।१

बालापन सब खेल गँवाया,

तरुण भया नारी बस का रे।

वृद्ध भया तन काँपन लागे,

खाट पड़ा न जाये खिसका रे ॥२॥

नाभि कमल बिच है कस्तूरी,

जैसे मिगर फिरै बन का रे।

बिन सतगुरु इतना दुख पाया,

वैद मिला नहीं इस तन का रे॥३॥

जनम मरन से बचना चाहो,

तो छोड़ो कामिनी का चसका रे ।

कहें कबीर सुनो भाई साधो,

नख सिख भरा विष का रे ॥४॥

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