संतो शब्द साधना कीजै

 संतो शब्द साधना कीजै

संतो शब्द साधना कीजै ।

जाहि शब्द से प्रगट भये सब,

सोई शब्द गहि लीजै ॥टेक।।

शब्द का भेद नहिं पाद 102

शब्दहि वेद पुरान बखाने,

शब्दहि सब ठहरावे

शब्दहि सुर नर मुनिजन गावै,

शब्दै गुरु शब्द सुन शिष भये,

शब्दै सो बिरला बूझै।

सोई गुरु सोई शिष महातम,

अंतरगत

जब सूझै२

शब्दै शब्द शब्द बहु अंतर,

सार शब्द मथ लीजै ।

कहें कबीर जेहि सार शब्द नहिं,

धिक् जीवन जग जीजै ॥३

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