आज सखी सतगुरु घर आये मेरे मन आनंद गयो री
आज सखी सतगुरु घर आये मेरे मन आनंद गयो री
Aaj Sakhi Satguru Ghar Aaye Mere Mann Anand Gayo Ri
आज सखी सतगुरु घर आये
मेरे मन आनंद गयो री || टेक ||
दर्शन से सब पाप बिनाशे
दुख दरिद्र सब दूर गयो री || 1 ||
अमृत वचन सुनत तम नाश्यो
घट भीतर प्रभु पाय लिओ री || 2 ||
जन्म जन्म के संशय टूटे
भवभय ताप मिटाय दिओ रे || 3 ||
ब्रम्हानंद दास दासन को
चरण कमाल लिपटाय गयो रे || 4 ||
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