सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,
किस धुन में बेठा वन्वारे तू किस मध में मस्ताना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, क्या लेकर के आया था जग में फिर क्या लेकर जाएगा, मुठी बांधे आया जग में हाथ पसारे जाना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, कोई आज गया कोई कल गया कोई चंद रोज में जायेगा जिस घर से निकल गया पंशी उस घर में फिर नही आना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है, सूत मात पिता बांदव नारी धन धान यही रह जाएगा, यह चंद रोज की यारी है फिर अपना कौन बेगाना है, सोने वाले जाग जा संसार मुसाफिर खाना है,