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Showing posts from April, 2024

Bhajano main lage meera meethi

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कौन मिलावे जोगिया हो

 कौन मिलावे जोगिया हो Kaun Milaawe Jogiya Ho कौन मिलावे जोगिया हो, जोगिया बिन रहयो न जाय। 1. मैं जो प्यासी पीव की, रटत फिरौं पिउ पीव। जो जोगिया नहिं मिलिहै हो, तो तुरत निकासूँ जीव।। 2. गुरु ही अहेरी मैं हिरनी, गुरु मारैं प्रेम का बान। जेहि लागै सोई जानई हो, और दरद नहिं जान। 3. कहै मलूक सुनु जोगिनी रे, तनहि में मनहि समाय। तेरे प्रेम के कारने जोगी, सहज मिला मोहि आय।

झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया |

 झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया | झुलनी में गोरी जगा, हमर जिया || अंतरा –  कौन सोनरवा बनायो रे झुलानिया, रंग पड़े नही कांचा, हमार पिया || झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया ||  सुघर सोनरवा बनायो रे झुलनियाँ, दे अगिनी का आंचा, हमर पिया | झूलनी का रंग सांचा हमार पिया || छिति, जल, पावक, गगन समीरा, तत्व मिलाय दियो पांचो, हमर पिया | झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया || पञ्च रतन से बनी रे झुलनियाँ, जोई पहिरा सोई नाचा, हमर पिया | झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया || जतन से रखियो गोरी रे झुलनियाँ, गूंजे चहुँ दिसी नाचा, हमर पिया | झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया || टूटी झुलानिया बहुरि नाही बनिहे, फिर न मिले ऐसा ढाँचा, सांच हमर पिया | झूलनी का रंग सांचा, हमार पिया ||

भँवरवा के तोहरा संघे जाइ , भँवरवा के तोहरा संघे जाइ।

 भँवरवा के तोहरा संघे जाइ , भँवरवा के तोहरा संघे जाइ। के तोहरा संग जाइ   (लिरिक्स) भँवरवा के तोहरा संघ जाइ , भँवरवा के तोहरा संघ जाइ। आवे के बेरिया सब केहु जाने , दुआरा पे बाजेला बधाई, बधाई दुआरा पे बाजेला बधाई आवे के बेरिया सब केहु जानेला , दुआरा पे बाजेला बधाई, बधाई  दुआरा पे बाजेला बधाई जाए के बेरिया केहू ना जाने ,जाए के बेरिया केहू ना जाने 2 अकेले चली  जाइ। भँवरवा के तोहरा संघ जाइ ,भँवरवा के तोहरा संघ जाइ।n   के तोहरा संग जाइ। भँवरवा के तोहरा संघ जाइ ,भँवरवा के तोहरा संघ जाइ। डेहरी पकड़ के मेहरी रोए ,बाँह पकड़ के भाई भाई बाँह पकड़ के भाई। डेहरी पकड़ के मेहरी रोए ,बाँह पकड़ के भाई भाई बाँह पकड़ के भाई। बीच अंगनावा माता जी रोवे ,बीच अंगनावा माता जी रोवे बबुआ के होखेला बिदाई। भँवरवा के तोहरा संघ जाइ ,भँवरवा के तोहरा संघ जाइ। के तोहरा संघ जाइ। भँवरवा के तोहरा संघ जाइ , भँवरवा के तोहरा संघ जाई कहत कबीर सुनो भाई साधो ,सतगुरु सरण में जाइ जाई  सतगुरु सरण में जाइ कहत कबीर सुनो भाई साधो ,सतगुरु सरण में जाइ जाई  सतगुरु सरण में जाइ जो यह पद के अर...

सो मोरे मन कब भजिहो सतनाम । टेक

 सो मोरे मन कब भजिहो सतनाम । टेक बालापन सब खेल गमायो, ज्वानी में व्यापो काम । वृद्ध भये तन काँपन लागे, लटकन लागो चाम । १ लाठी टेकि चलत मारग में, सह्योजात नहिं घाम । कानन बहिर नयन नहिं सूझे, दाँत भये बेकाम । २ घर की नारि विमुख होय बैठी, पुत्र करत बदनाम । बरबरात है बिरथा बूढ़ा, अटपट आठो जाम । ३ खटिया से भुइँ पर कर दैहैं, छुटि जैहैं धनधाम । कहैं कबीर काह तब करिहो, परिहैं यम से काम । ४

आज गुरु आविया जी म्हारे

  आज गुरु आविया जी म्हारे आज गुरु आविया जी म्हारे , हिवड़े उठी रे हिलोर। हिवड़े उठी रे हिलोर म्हारे , मनडे उठी रे हिलोर। गुरु आवन की ऐसी लागी , जैसे चंद्र चकोर। चरण कमल में सुरता लागी , ज्यू पतंग संग डोर। आज गुरु आविया जी म्हारे , हिवड़े उठी रे हिलोर। सबद सुण्या गुरुदेव का , डर गया पांचो चोर। घोर अंधेरो दूर होयो है , रैण गई भई भोर। आज गुरु आविया जी म्हारे , हिवड़े उठी रे हिलोर। अब कछु धोखा ना रहा , नाच उठा मन मोर। सूरत सुहागण निरखण लागी , अपने पिया की ओर। आज गुरु आविया जी म्हारे , हिवड़े उठी रे हिलोर। भीखदास गुरु पूरा मिलिया , कुकर्म दीना तोड़। दास मलूक चरण में लोटे , सुख में जिव झकोर। आज गुरु आविया जी म्हारे , हिवड़े उठी रे हिलोर।

तेरी शरण में आके, मैं धन्य हो गया,

 तेरी शरण में आके, मैं धन्य हो गया, जन्मों की प्यास थी जो, मैं सम्पन्न हो गया, तेरी शरण मे आके, मैं धन्य हो गया ।। कितने मिले अमीर यहाँ, कितने गरीब, कितने मिले अमीर यहाँ, कितने गरीब, पर आप मिल गये तो, धनवान हो गया, तेरी शरण मे आके, मैं धन्य हो गया ।। दुःख में तड़प रहा था प्रभु, मुद्दतों से मैं, दुःख में तड़प रहा था प्रभु, मुद्दतों से मैं, एक आपका सहारा, साकार हो गया, तेरी शरण मे आके, मैं धन्य हो गया ।। करना कभी ना दूर प्रभु, चरणों से आप, करना कभी ना दूर प्रभु, चरणों से आप, चरणो के ही सहारे, मैं भव पार हो गया, तेरी शरण मे आके, मैं धन्य हो गया ।। तेरी शरण में आके, मैं धन्य हो गया, जन्मों की प्यास थी जो, मैं सम्पन्न हो गया, तेरी शरण मे आके, मैं धन्य हो गया ।।